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|संग्रह=बोली तूं सुरतां / प्रमोद कुमार शर्मा
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जडां खोद‘र
उपर अनै ओर उपर
चढ़ता ऐ लोग
कांई समझ बैठ्या है
पेड़ नै !
जाणै नीं ऐ लोग
कै खेत
कणाई उलांड नईं सकै
मेढ़ नै !
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