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|संग्रह=बोली तूं सुरतां / प्रमोद कुमार शर्मा
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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
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आओ
आज बैठ‘र
सोचां आपां सगळा !‘‘दूर"दूर-दूर तांई
जद नीं दिस्सै कोई मारग
इसै मांय
आपणै घरां सूं इज बणानी पड़ैली सुरंगां’’सुरंगां"
आ बात सुणी
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