भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हांसता लोग / प्रमोद कुमार शर्मा

42 bytes removed, 08:17, 16 अक्टूबर 2013
|संग्रह=बोली तूं सुरतां / प्रमोद कुमार शर्मा
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}<Poempoem
हांसता-हांसता
अचाणचकै चुप क्यूं हो ज्यावै लोग
घणी देर तांई
इकलग क्यूं नीं सकै हांस ।हांस।
सोचूं:
जिकै नै देखण री
नई हुवै वां मांय
हिम्मत ।हिम्मत।
</Poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,132
edits