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|रचनाकार=भंवर भादाणी |संग्रह=थार बोलै / भंवर भादाणी
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उजड़यै खेत दांई
हुंवतै मुलक मांय
ईमानदार अर साचै मिनख नै ई
कैवण लागग्या लोग अड़वो।
</Poem>