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|रचनाकार=हरीश बी० शर्मा |संग्रह=थम पंछीड़ा.. / हरीश बी० शर्मा
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रै‘कारै री गाळ रो
रजपूती रातो रंग,
बीकाणो जूनो
अर जूनो हुंवतो जावै है।
</Poem>