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थोथो बडपण!/ कन्हैया लाल सेठिया

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|संग्रह=लीलटांस / कन्हैया लाल सेठिया
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<Poem>
 
हुई
 
अणहुई
 
ऊंट री थुई
 
थोथो बड़पण,
 
जग्यांसर
 
बापड़ी ऐडर
 
बैठण रो अडखण !
 
</Poem>
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