भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मोटो डर!/ कन्हैया लाल सेठिया

47 bytes removed, 01:31, 17 अक्टूबर 2013
|संग्रह=लीलटांस / कन्हैया लाल सेठिया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita‎}}
<Poem>
 
रोही में फिर ल्याळी
 
आभै में गरणावे सिकरा
 
गेलां में रळकै वासक नाग
 
पण सैं स्यूं मोटो डर भुख,
 
जको कोनी बैठण दे
 
लरड़ी ने बाडै में
 
कबूतर नै आळे में
 
पग ने घर में !
 
</Poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits