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|संग्रह=म्हारै पांती री चिंतावां / मदन गोपाल लढ़ा
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तमसो मा ज्योतिगर्मय
अधंकार सूं उजाळै कांनी
अंधारै री तासीर नै
जड़ांमूळ खिंडावतो।
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