भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

छोरी: तीन / मदन गोपाल लढ़ा

40 bytes removed, 04:51, 17 अक्टूबर 2013
|संग्रह=म्हारै पांती री चिंतावां / मदन गोपाल लढ़ा
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita‎}}
<Poempoem
बरतण मांजती बगत
छोरी बांचै है
उडीकै है
मेह नै।
 </Poempoem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,130
edits