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|संग्रह=आ बैठ बात करां / रामस्वरूप किसान
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ओळूं आवै
म्हारै हिवड़ै रै आंगणै रमैं
ओळूं आवै
म्हारैं हिवड़ै रै आंगणै रमै।
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