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|रचनाकार=सत्यप्रकाश जोशी |संग्रह=राधा / सत्यप्रकाश जोशी
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<Poempoem>
नई कांन्ह ! नईं
थारौ म्हारौ ब्याव कोनी हो सकै !
उण कंवारी नै
थारै रंगमै‘लां ला बिठासी।
</Poempoem>