भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सत्यप्रकाश जोशी |संग्रह=राधा / सत्यप्रकाश जोशी
}}
{{KKCatKavita}}
<Poempoem>
नई कांन्ह ! नईं
थारौ म्हारौ ब्याव कोनी हो सकै !
थारै आंगणियै रिमझिम करती
लाडी आवसी।
</Poempoem>