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कुंडलिया / शम्भुदान चारण

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|रचनाकार=शम्भुदान चारण
|संग्रह=
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]{{KKCatRajasthaniRachna}}{{KKCatKavita‎}}<poem>निज प्रसंसी नानरे नेह लग नही नेक ,
नुगती कारण जगत में भुगत बणेकर भेक,
भगत बणेकर भेक प्रशंसा खुदरी चावे ,
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