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Kavita Kosh से
|रचनाकार=शिवराज भारतीय
|संग्रह=उजास रा सुपना / शिवराज भारतीय
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<Poempoem>
मुट्ठी भर आखर‘क
मुट्ठी भर रूणक‘क
हेलो दियो
माई मुट्ठी भर आटो।
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