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<poem>
सूतल सेजरिया सखिया देखेली सपनवाँ
निरमोही कान्हा बंसिया बजावेलें हो लाल।
सब सखी मिली जुली गावेली कजरिया।
से राधारानी झुलुआ झुलावेली हो लाल।
जमुना किनारे सखिया कदम के गछिया,
निरमोही कान्हा चीरवा चोरावेलें हो लाल।
कहत महेन्दर कान्हा नान्हें के रसिया
से नाहके पिरीतीया लगावेलें हो लाल।
</poem>
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