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तुम तो चली गई पिताश्री के पास , स्वर्ग को
माँ यह लोक-परीक्षा,मनुज के लिए बड़ा ही दारुण क्षण होता
होकर भू पर छायाएँ - सा चलता , परागों से भरे फूलों का