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<poem>हरे-हरे निंबुआ के हरे-हरे पातवा से हरे-हरे।
मोरा सइयाँ क चदरिया से हरे-हरे।
छोटे-छोटे सइयाँ के छोटे-छोटे नैना से छोटे-छोटे।
दूनो हाथ के कंगनवाँ से छोटे-छोटे।
हमरा बलमुआ के दुनू काने सोनवाँ से देवरा पापी।
अंगूठी के नगीनवाँ से पारे-पारे।
सइयाँ बिसनिया निहारेला जोबनवाँ से देवरा पापी।
मांगे दूनू रे जोबनवां से देवरा पापी।
अपना बलमुओं के पनवाँ खिलइबो से हँसी-हँसी।
गरवा से लगइबो से हँसी-हँसी।
आपना बलमुआँ के बेनिया डोलाइबों से रसे-रसे।
देवरा क ललचाई कि रसे-रसे।

</poem>
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