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{{KKRachna
|रचनाकार=महेन्द्र मिश्र
|अनुवादक=
|संग्रह=प्रेम व श्रृंगार रस की रचनाएँ / महेन्द्र मिश्र
}}
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{{KKCatBhojpuriRachna}}
<poem> छछकल नदिया ए ऊधोजी बहेली बड़ी जोर।
जहिया से गइलें कन्हइया सुधियो ना लिहलें मोर। छछकल नदिया।
जो तुहूँ जइब ए उधो बाबा मथुरा नगरिया के ओर।
गँउआ नगरिया से पूछिहऽ कि कहाँ गइलें नन्द किशोर। छछकल नदिया।
जब-जब बोले कोइलिया बनवाँ में नाचेला मोर।
विरहा के अगिया ए ऊधो बाबा, सालेला करेजवा मोर। छछकल नदिया।
कहत महेन्दर ए ऊधो बाबा सूखि गइलें अँखियाँ के लोर।
तारा गिनत रे गिनत में कबदू ना हो गइलें भोर। छछकल नदिया।
</poem>
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<poem> छछकल नदिया ए ऊधोजी बहेली बड़ी जोर।
जहिया से गइलें कन्हइया सुधियो ना लिहलें मोर। छछकल नदिया।
जो तुहूँ जइब ए उधो बाबा मथुरा नगरिया के ओर।
गँउआ नगरिया से पूछिहऽ कि कहाँ गइलें नन्द किशोर। छछकल नदिया।
जब-जब बोले कोइलिया बनवाँ में नाचेला मोर।
विरहा के अगिया ए ऊधो बाबा, सालेला करेजवा मोर। छछकल नदिया।
कहत महेन्दर ए ऊधो बाबा सूखि गइलें अँखियाँ के लोर।
तारा गिनत रे गिनत में कबदू ना हो गइलें भोर। छछकल नदिया।
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