भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चूड़ियाँ / हरकीरत हकीर

665 bytes added, 07:57, 26 अक्टूबर 2013
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरकीरत हकीर }} {{KKCatNazm}} <poem>अपने वजूद को...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरकीरत हकीर
}}
{{KKCatNazm}}
<poem>अपने वजूद को
बचाने की खातिर
कई बार खड़ी हुई हूँ
तुम्हारी चौखट पर
अपना हाथ फैलाई
तुझसे जरा सा
प्यार , विश्वास
और अपनत्व मांगती …
पर अब कोई उडीक नहीं
कर दूँगी ऐलान
अपनी होंद का …
अब मैंने चूड़ियाँ
उतार फेंकी हैं …
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,357
edits