भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}{{KKLokRachna|रचनाकार: अज्ञात }}
अंजन की सीटी में म्हारो मन डोले<br>
चला चला रे ।।<br><br>
'''शब्दार्थ:'''<br>डलेवर= ड्राईवर<br>गाबा= गाने लगना<br>डूंगर= पहाड़<br>नंदी= नदी <br>ढांडा= जानवर <br>जद= जब ( जदी,जर और जण भी कहा जाता है) <br>असी= ऐसा, इतना<br><br>