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मैं ! / अज़ीज़ क़ैसी
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03:42, 22 नवम्बर 2013
नक़्श कहा करते हैं ऐसे बन सकते हो
ज़र्रे कहते हैं तुम ऐसे बन जाओगे
तुम बतला सकते हो आख़िर मैं क्या हूँ
तुम क्या बतलाओगे
तुम ख़ुद आईना-ख़ाना हो
ग़म-ख़ाना हो
घर हो
क़ब्र हो
तुम ख़ुद मैं हो
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