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{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश 'कँवल'
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|संग्रह=
}}
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<poem>
दिन को दिन लिखना, रात मत लिखना
जो हो अनुचित वो बात मत लिखना
अपने अपनों की घात मत लिखना
किसने खार्इ है मात मत लिखना
फ़लसफ़ा कहना हुक्मरानों का
हुक्मरानों की जात मत लिखना
चाल चलना, संभलना शह देना
जज़्ब-ए-इंबिसात मत लिखना
अपनी औक़ात का पता देना
दुश्मनों की विसात मत लिखना
दायरा प्यार का बढ़ाना तुम
नफ़रतों की सिफ़ात मत लिखना
झुंड में झुंड से अलग रहना
साधुओं की जमात मत लिखना
सहल कैसे हुर्इ रकम करना
ज़िन्दगी मुश्किलात मत लिखना
डूबना और उभर ना चेहरों पर
दिल पे ही तास्सुरात मत लिखना
क़हक़हों के जलाना टयूब 'कंवल'
ग़म से ख़ाली हयात मत लिखना
</poem>
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|रचनाकार=रमेश 'कँवल'
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|संग्रह=
}}
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दिन को दिन लिखना, रात मत लिखना
जो हो अनुचित वो बात मत लिखना
अपने अपनों की घात मत लिखना
किसने खार्इ है मात मत लिखना
फ़लसफ़ा कहना हुक्मरानों का
हुक्मरानों की जात मत लिखना
चाल चलना, संभलना शह देना
जज़्ब-ए-इंबिसात मत लिखना
अपनी औक़ात का पता देना
दुश्मनों की विसात मत लिखना
दायरा प्यार का बढ़ाना तुम
नफ़रतों की सिफ़ात मत लिखना
झुंड में झुंड से अलग रहना
साधुओं की जमात मत लिखना
सहल कैसे हुर्इ रकम करना
ज़िन्दगी मुश्किलात मत लिखना
डूबना और उभर ना चेहरों पर
दिल पे ही तास्सुरात मत लिखना
क़हक़हों के जलाना टयूब 'कंवल'
ग़म से ख़ाली हयात मत लिखना
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