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हाय रे वो दिन क्यों ना आए / शैलेन्द्र
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05:32, 30 दिसम्बर 2013
<poem>
हाये रे वो दिन क्यों ना आए
जा
-
जा के ऋतु लौट आए
झिलमिल वो
तारें
तारे
, कहाँ गए सारे
मन बाती जले, बुझ जाए
हाये रे वो दिन...
अनिल जनविजय
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