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मैं एक पहाड़ बना रहाट्रेन चल रही है बैठे हैं लोगतुम एक गाँव बने रहेखिड़की में कुछ कुछ बाहर हैं लोगहम इस तरह गाँव और शहर के दो दोस्त हुएवक़्त ने हमारे बीच बाहर से गुज़र जाना मंज़ूर कियाअन्दर आते हैं लोगवह नदी बना और हममें से होकर बहने लगाट्रेन चल रही है बैठे हैं लोगमेरे सपने पेड़ बन कर उग आएट्रेन चल रही है खड़े हैं लोगवक़्त बहता रहा पेड़ों ने अपने झाड़ फैलाएखा रहे हैं पराठे पी रहे हैं चायछा~मव दी और फल गिराएट्रेन चल रही है हिल रहे हैं लोगमेरे विचारों ने दूब का रूप धर लियाधीरे धीरे हिलमिल रहे हैं लोगमेरी शुभकामनाएँ फूल बन गर्इंबेचता है अन्धा खाते हैं लोगवक़्त की नदी की तरह बहते हुएट्रेन चल रही है खिसक रहे हैं लोगसब कुछ हरियाली में मिल गयाट्रेन चल रही है चल रहे हैं लोगकुछ दिनों बाद मैं शहर स्टेशन गयारहा है हो रहे हैं खड़े लोगनदी सूख गई थी औरकुछ जाग रहे हैं कुछ सो रहे हैं लोगगाँव भी किनारों पर छाँव हिल रहे हैं कुन्दों में नहीं रुकाबैग, सो रहे हैं लोगपहाड़ में से एक सड़क गुजर गईकुछ आ रहे हैं कुछ जा रहे हैं लोगगाँव की नदी पर एक पुल उभर आयामैं पहाड़ हूँ और नदी ही ट्रेन में देखता हूँ अपना चेहराआ जा रहे हैं लोगनदी सूख गई और सारा गाँव पुल से निकल रहा ट्रेन चल रही हैचल रहे हैं लोग
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