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{{KKRachna
|रचनाकार=किशोर कुमार निर्वाण
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}<poem>थे कैवो हो
म्हैं खुसी रा गीत गावूं
देस रै बिगसाव रो जसन मनावूं
पण क्यूं?

कांई ओ बगत साचाणी
गीत गावण रो है?
जसन मनावण रो है?

थे कैवो हो
आं बरसां मांय मिनख
घणी तरक्की करी है
पण म्हनैं लागै है
स्यात थे अखबार नीं बांचो
समाचार नीं सुणो
दंगा, झगड़ा, मारकाट
बलात्कार, लूट, बदळै री आग
जे थे ऐ समाचार बांचता
तो स्यात मिनख नैं
मिनख ई नीं कैवता

पण थे कैवो हो
कै म्हैं खुसी रा गीत गावूं
देस रै बिगसाव रो जसन मनावूं</poem>
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