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असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
नजूमी से पूछो न आमिल से पूछो,
रिहाई का रास्ता न क़ातिल से पूछो ।
ये है अक़्ल की बात अक़्ल से पूछो
तुम्हें क्या मुनासिब है ख़ुद दिल से पूछो ।।
असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
ज़ियादा न ज़िल्लत गवारा करो तुम,
ठहर जाओ अब वारा-न्यारा करो तुम ।
न शह दो, न कोई सहारा करो तुम,
फँसो पाप में मत, किनारा करो तुम ।।
असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
दिखाओ सुपथ जो बुरा हाल देखो,
न पीछे चलो जो बुरी चाल देखो ।
कृपा-कुंज में जो छिपा काल देखो,
भरा मित्र में भी कपट जाल देखो ।।
असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
सगा बन्धु है या तुम्हारा सखा है,
मगर देश का वह गला रेतता है ।
बुराई का सहना बहुत ही बुरा है,
इसी में हमारा तुम्हारा भला है ।।
असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
धराधीश हो या धनवान कोई,
महाज्ञान हो या कि विद्वान कोई ।
उसे हो न यदि राष्ट्र का ध्यान कोई,
कभी तुम न दो उसको सम्मान कोई ।।
असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
अगर देश ध्वनि पर नहीं कान देता,
समय की प्रगति पर नहीं ध्यान देता ।
वतन के भुला सारे एहसान देता,
बना भूमि का भार ही जान देता ।।
असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
उठा दो उसे तुम भी नज़रों से अपनी,
छिपा दो उसे तुम भी नज़रों से अपनी ।
गिरा दो उसे तुम भी नज़रों से अपनी,
हटा दो उसे तुम भी नज़रों से अपनी ।।
असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
न कुछ शोरगुल है मचाने से मतलब,
किसी को न आँखें दिखाने से मतलब ।
किसी पर न त्योरी चढ़ाने से मतलब,
हमें मान अपना बचाने से मतलब ।।
असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
कहाँ तक कुटिल क्रूर होकर रहेगा,
न कुटिलत्व क्या दूर होकर रहेगा ।
असत् सत् में सत् शूर होकर रहेगा,
प्रबल पाप भी चूर होकर रहेगा ।।
असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
भुला पूर्वजों का न गुणगान देना,
उचित पाप पथ में नहीं साथ देना ।
न अन्याय में भूलकर हाथ देना,
न विष-बेलि में प्रीति का पाथ देना ।।
असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
न उतरे कभी देश का ध्यान मन से,
उठाओ इसे कर्म से मन-वचन से ।
न जलाना पड़े हीनता की जलन से,
वतन का पतन है तुम्हारे पतन से ।।
असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
डरो मत नहीं साथ कोई हमारे,
करो कर्म तुम आप अपने सहारे ।
बहुत होंगे साथी सहायक तुम्हारे,
जहाँ तुमने प्रिय देश पर प्राण वारे ।।
असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
प्रबल हो तुम्हीं सत्य का बल अगर है,
उधर गर है शैतान ईश्वर इधर है ।
मसल है कि अभिमानी का नीचा सर है,
नहीं सत्य की राह में कुछ ख़तर है ।।
असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
अगर देश को है उठाने की इच्छा,
विजय-घोष जग को सुनाने की इच्छा ।
व्रती हो के कुछ कर दिखाने की इच्छा,
व्रती बन के व्रत को निभाने की इच्छा ।।
असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
अगर चाहते हो कि स्वाधीन हों हम,
न हर बात में यों पराधीन हों हम ।
रहें दासता में न अब दीन हों हम,
न मनुजत्व के तत्त्व से हीन हों हम ।।
असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
न भोगा किसी ने भी दुख-भोग ऐसा,
न छूटा लगा दास्य का रोग ऐसा ।
मिले हिन्दू-मुस्लिम लगा योग ऐसा,
हुआ मुद्दतों से है संयोग ऐसा ।।
असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
नहीं त्याग इतना भी जो कर सकोगे,
नहीं मोह को जो नहीं तर सकोगे ।
अमर हो के जो तुम नहीं मर सकोगे,
तो फिर देश के क्लेश क्या हर सकोगे ।।
असहयोग कर दो ।
असहयोग कर दो ।।
 
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