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भाग्य का हमें भरोसा दिया,
विभव सब अपने वश में किया ।
जहा~म जहाँ तक बना रक्त पर लिया,
वज्र की छाती, पत्थर हिया ।
किसी ने ज़ख़्मेदिल कब सिया,
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