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Kavita Kosh से
मैं ने बीनाइयाँ बो कर भी अंधेरे काटे
छोड़ दी किस लिये तू ने 'मुज़फ़्फ़र' दुनिया
जुस्तजू सी तुझे हर वक़्त बता किसकी थी
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