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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोपालदास "नीरज" |अनुवादक= |संग्रह=ग...' के साथ नया पन्ना बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार=गोपालदास "नीरज"
|अनुवादक=
|संग्रह=गीत जो गाए नहीं / गोपालदास "नीरज"
}}
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{{KKCatGeet}}
{{KKCatUttarPradesh}}
<poem>
क्यों उसको जीवन भार न हो!
जो जीवन ताप मिटाती है
युग-२ की प्यास बुझाती है
इसके अधरों तक जाकर वह मधु मदिरा ही विष बन जाए।
क्यों उसको जीवन भार न हो..
जो हिम सी शीतल शांत सजल
है जीवन पंथी की मंजिल
वह अमर मौत भी एक बार जिसकी मिट्टी से घबराए।
क्यों उसको जीवन भार न हो..
लिखकर दिल हल्का हो जाता
गाकर जिसको गम सो जाता
पर इसके प्राणों में उसकी कविता ही क्रन्दन उपजाए।
क्यों उसको जीवन भार न हो..
</poem>
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क्यों उसको जीवन भार न हो!
जो जीवन ताप मिटाती है
युग-२ की प्यास बुझाती है
इसके अधरों तक जाकर वह मधु मदिरा ही विष बन जाए।
क्यों उसको जीवन भार न हो..
जो हिम सी शीतल शांत सजल
है जीवन पंथी की मंजिल
वह अमर मौत भी एक बार जिसकी मिट्टी से घबराए।
क्यों उसको जीवन भार न हो..
लिखकर दिल हल्का हो जाता
गाकर जिसको गम सो जाता
पर इसके प्राणों में उसकी कविता ही क्रन्दन उपजाए।
क्यों उसको जीवन भार न हो..
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