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आज न कोई दूर न कोई पास है
फ़िर भी जाने क्यों मन आज उदास है ?
आज न सूनापन भी मुझसे बोलता
सहमी-२ रात, चाँद गम्भीर है
गुपचुप धरती, गुमसुम सब आकाश है।
फ़िर भी जाने क्यों मन आज उदास है ?
आज शाम को झरी नहीं कोई कली
जला पपीहा आज न प्रिय की चाह में
आज नहीं पतझार, नहीं मधुमास है।
फ़िर भी जाने क्यों मन आज उदास है ?
आज अधूरा गीत न कोई रह गया
जुड़कर कोई स्वप्न आज टूटा नहीं
आज न कोई दर्द न कोई प्यास है।
फ़िर भी जाने क्यों मन आज उदास है ?
आज घुमड़कर बादल छाया है कहीं
आज किसी ने दीप जलाया है कहीं
इसीलिए शायद मन आज उदास है।
फ़िर भी जाने क्यों मन आज उदास है ?
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