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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोपालदास "नीरज" |अनुवादक= |संग्रह=ग...' के साथ नया पन्ना बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार=गोपालदास "नीरज"
|अनुवादक=
|संग्रह=गीत जो गाए नहीं / गोपालदास "नीरज"
}}
{{KKCatGeet}}
<poem>
मैं तुम्हारी तुम हमारे!
नयन में निज नयन भर कर
अधर पर सुमधुर अधर धर
साध कर स्वर, साध कर उर
एक दिन तुमने कहा था प्रेम-गंगा के किनारे।
मैं तुम्हारी तुम हमारे!
था कथित उर-प्यार हारा
मौन था संसार सारा
सुन रहा था सरित-जल, सब मुस्कुराते चाँद-तारे।
मैं तुम्हारी तुम हमारे!
अब कहीं तुम, मैं कहीं हूँ
अर्थ इसका मैं नहीं हूँ
शेष हैं वे शब्द, क्षत उर-स्वप्न, दो नयनाश्रु खारे।
मैं तुम्हारी तुम हमारे!
</poem>
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|अनुवादक=
|संग्रह=गीत जो गाए नहीं / गोपालदास "नीरज"
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<poem>
मैं तुम्हारी तुम हमारे!
नयन में निज नयन भर कर
अधर पर सुमधुर अधर धर
साध कर स्वर, साध कर उर
एक दिन तुमने कहा था प्रेम-गंगा के किनारे।
मैं तुम्हारी तुम हमारे!
था कथित उर-प्यार हारा
मौन था संसार सारा
सुन रहा था सरित-जल, सब मुस्कुराते चाँद-तारे।
मैं तुम्हारी तुम हमारे!
अब कहीं तुम, मैं कहीं हूँ
अर्थ इसका मैं नहीं हूँ
शेष हैं वे शब्द, क्षत उर-स्वप्न, दो नयनाश्रु खारे।
मैं तुम्हारी तुम हमारे!
</poem>