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तुम्हारा साथ / निवेदिता

9 bytes added, 08:33, 9 मार्च 2014
जो धूप की तरह धरती पर खिल उठते हैं
न हवा में लरजते नन्हें रेशमी बादल बरस रहे हैं
न सितारे आसमान में गुथे गुँथे हुए हैं
बस तुम हो
घर के इस छत के नीचे
दुनिया की सबसे महान प्रेम कविता
प्रेम का मतलब है एक दूसरे को देखना
लहरों की धमनियांधमनियाँ,हवाओं की मौज के साथ थामें थामे रहना एक-दूसरे का हाथ कई बार सोचती हूं हूँ कि गारे मिट्टी से बने
घर से भला क्यों प्यार हो
और उसी पल तुम्हारी हंसी हँसी सुनती हूं हूँ और घर की सारी दीवारे खिलखिल खिल-खिल करती डोलती रहती हैं और हमदोनों घंटों हम दोनों घण्टों बैठे रहते
अपनी सबसे प्यारी जगह
बालकनी में
वसन्त की गंध गन्ध गमले में लगे नन्हें फूलों की भीगी पत्त्यिां पत्तियाँ
रंगों से भरे सूरज की किरणें
हम डूबे रहते
लहरें हमें बहा ले जाती
वहांवहाँ-वहां जहांवहाँ जहाँ-जहां जहाँ हमारा प्यार.
</poem>
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