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दम / हरिऔध

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|रचनाकार=अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
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|संग्रह=चोखे चौपदे / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
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<poem>
क्यों लिया यह न सोच पहले ही।

आप तुम बारहा बने यम हो।

हैं खटकते तुम्हें किये अपने।

क्या अटकते इसी लिए दम हो।
</poem>
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