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|रचनाकार=अटल बिहारी वाजपेयी
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मनाली मत जइयो, गोरी
राजा के राज में।
जइयो तो जइयो,<br>उड़िके मत जइयोसन्देसा न पइयो,<br>अधर में लटकीहौटेलिफोन बिगड़े हैं,<br>वायुदूत के जहाज में |<br><br>मिर्धा महाराज में।
जइयो तो जइयो,<br>सन्देसा न पइयोमशाल ले के जइयो,<br>टेलिफोन बिगड़े हैं,<br>बिजुरी भइ बैरिन मिर्धा महाराज में |<br><br>अंधेरिया रात में।
जइयो तो जइयो,<br>मशाल ले के त्रिशूल बांध जइयो,<br>बिजुरी भइ बैरिन<br>मिलेंगे ख़ालिस्तानी, अँधेरिया रात में |<br><br>राजीव के राज में।