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{{KKRachna
|रचनाकार=रमाशंकर यादव 'विद्रोही'
|अनुवादक=
|संग्रह=नई खेती / रमाशंकर यादव 'विद्रोही'
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
न तो मैं सबल हूं,
न तो मैं निर्बल हूं,
मैं कवि हूं।
मैं ही अकबर हूं,
मैं ही बीरबल हूं।
</poem>
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मैं कवि हूं।
मैं ही अकबर हूं,
मैं ही बीरबल हूं।
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