भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=फूल नहीं रंग बोलते हैं / केदारनाथ अग्रवाल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
मशाल का बेटा धुआँ,
:::गर्व से गगन में गया,
शून्य में खोया
कोई नहीं रोया ।रोया।
मशाल की बेटी आग
:::यहीं धरती पर रही,
चूल्हे में आई
नसों में समाई ।समाई।</poem>