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06:45, 2 अप्रैल 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=गिरिराज किराडू
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<poem>
प्रेम में हम सब गलत ट्रेन पकड़ते हैं
हमारी घड़ियाँ समय हमेशा गलत बताती हैं
तुम जिससे दस बरस पहले प्रेम करते थे
उसे अब प्रेम है तुमसे
अब जबकि किसी और की घड़ी में प्रेम समय बजा है
</poem>
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