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|रचनाकार=प्रेमचन्द गांधी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
झूठ जैसा शब्द
नहीं है हमारे पास
सहस्रों दिशाएं हैं
सत्य की राह में जाने वाली
सारी की सारी शुभ
अपशकुन जैसी कोई धारणा
नहीं रही हमारे यहां
अशुभ और अपशकुन तो हमें माना गया.
</poem>
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झूठ जैसा शब्द
नहीं है हमारे पास
सहस्रों दिशाएं हैं
सत्य की राह में जाने वाली
सारी की सारी शुभ
अपशकुन जैसी कोई धारणा
नहीं रही हमारे यहां
अशुभ और अपशकुन तो हमें माना गया.
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