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<poem>
कोई भी तो चेहरा नहीं याद आता ऐसा
जिस पर दुख की काली परछाइयाँ न हों
युवा मामी का झुर्रियों से भरा चेहरा देखती हूँ
तो याद आते हैं वे दिन
जब इसके रूप पर मोहित मामा
नहीं गया परदेस पैसा कमाने
बेरोजगारी के दिनो में पैदा किए उन्होंने
सात बच्चे
</poem>
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कोई भी तो चेहरा नहीं याद आता ऐसा
जिस पर दुख की काली परछाइयाँ न हों
युवा मामी का झुर्रियों से भरा चेहरा देखती हूँ
तो याद आते हैं वे दिन
जब इसके रूप पर मोहित मामा
नहीं गया परदेस पैसा कमाने
बेरोजगारी के दिनो में पैदा किए उन्होंने
सात बच्चे
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