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Kavita Kosh से
बुद्धं शरणम् गच्छामि
संघम शरणम् गच्छामि
धम्मम शरणम् गच्छामि !
यूँ ही युगांतर से
नेह-चक्र खींचता
तब से मैं पर्यटन पर हूँ ..
तुम साथ चलोगे क्या ?कितने संधान शेष हैं ?
हर बार जहां से चलता हूँ
लौट वहीँ आता हूँ ..