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क्या अंत टल नहीं सकता? / अपर्णा भटनागर
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04:38, 19 अप्रैल 2014
फिसल रही हैं
उन्मत्त
कि मछुआरों ने समेट लिए हैं जाल !
अपने चेहरों पर सफ़ेद पट्टियाँ रंगे
कमर पर पत्ते कसे
Gayatri Gupta
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