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तुम जिंदगी / विपिन चौधरी

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<poem>
जिंदगी मैं तुझसे कभी ना छूटने वाला प्रेम करूंगी
तेरे मटमैले कोने को छू एक खूबसूरत कसम उठा रखूंगी
शरारत के पलों में तेरा कान उमेठ कर भाग जाउंगी
दुखी होऊँगी तो तुझे चम्बल की किसी मटियाली गुफा में धकेल
दुनाली से छलनी करने की सोचूंगी
तब कई प्रतिरोधी किस्से मेरी आँखों के सामने होंगे
मैं तेरा दाना पानी बंद करने की ठानूंगी
</poem>
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