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ऊपर बैठ्यो नीम री धिंगाणै
तो कुसूंण आकास पुराण रो
-स्रह्न.द्मद्यद्मह्य कुणसो स्याणो पिछाणै।
सोचूं :
आपां नैं ठा ई कोनी कै
भाखा रो असुद्ध हुवणो
द्यशद्र्मंक्रद्गद्म सर्वात्मा रै लोही मांय गड़बड़ी मानीज्यै
भाखा मांय गाळ काढणी हड़बड़ी मानीज्यै
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