Changes

वह आता है
सड़कों पर ठेले में
बोरियां बोरियाँ लादे
भरी दोपहर और तेज धूप में
पसीने से तर -बतर
जलती है देह
ठेले पर नहीं है पानी से भरी
वह आता है
कमर झुकाए
कोयले की खदानों से
बीस मंजिला इमारत में
पेट में जलती आग लिए
डामर की टूटी सड़कों पर
उढ़ेलेगा उड़ेलेगा गर्म तारकोल
कतारबद्ध, तसला, गिट्टी, बेलचा
जलते पैरों से होगा हमारी खातिर
तब इक सड़क का निर्माण
वह दिन भर
दुर्गन्ध में कुनमुनाता
बोझ से दबा हुआ
धड़ है जैसे सर विहीन
वह सृजनकर्ता है
दुख सहके भी सुख बांटताबाँटता
भूख को पटकनी देता
वह हमारी खातिर तपता है
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,137
edits