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Kavita Kosh से
|रचनाकार=सुदर्शन फ़ाकिर
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हर वफ़ा एक जुर्म हो गोया <br>दोस्त कुछ ऐसी बेरुख़ी से मिले <br><br>
फूल ही फूल हम ने माँगे थे <br>दाग़ ही दाग़ ज़िन्दगी से मिले <br><br>
जिस तरह आप हम से मिलते हैं <br>आदमी यूँ न आदमी से मिले <br><br/poem>