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|रचनाकार=सुदर्शन फ़ाकिर
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[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem> कुछ तो दुनिया कि इनायात ने दिल तोड़ दियाऔर कुछ तल्ख़ी-ए-हालात ने दिल तोड़ दिया
कुछ हम तो दुनिया कि इनायात ने दिल तोड़ दिया<br>समझे थे के बरसात में बरसेगी शराबऔर कुछ तल्ख़ी-ए-हालात आयी बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया<br><br>
हम दिल तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब<br>रोता रहे, ओर आँख से आँसू न बहेआयी बरसात तो बरसात इश्क़ की ऐसी रवायात ने दिल तोड़ दिया<br><br>
दिल तो रोता रहेवो मेरे हैं, मुझे मिल जायेंगे, ओर आँख से आँसू न बहे<br>आ जायेंगेइश्क़ की ऐसी रवायात ऐसे बेकार ख़यालात ने दिल तोड़ दिया<br><br>
वो मेरे हैं, मुझे मिल जायेंगे, आ जायेंगे<br>ऐसे बेकार ख़यालात ने दिल तोड़ दिया<br><br> आप को प्यार है मुझ से के नहीं है मुझ से <br>जाने क्यों ऐसे सवालात ने दिल तोड़ दिया <br><br/poem>