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{{KKRachna
|रचनाकार=सुदर्शन फ़ाकिर
}} [[Category:गज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem> फिर आज मुझे तुम को बस इतना बताना है हँसना ही जीवन है हँसते ही जाना है
फिर आज मुझे तुम को बस इतना बताना है <br>मधुबन हो या गुलशन हो पतझड़ हो या सावन होहँसना ही हर हाल में इंसाँ का इक फूल सा जीवन है हँसते ही जाना है <br><br>हो
मधुबन हो या गुलशन हो पतझड़ हो या सावन हो<br> हर हाल में इंसाँ का इक फूल सा जीवन हो <br>काँटों में उलझ के भी ख़ुशबू ही लुटाना है <br>हँसना ही जीवन है हँसते ही जाना है <br><br>
हर पल जो गुज़र जाये दामन को तो भर जाये <br>ये सोच के जी लें तो तक़दीर सँवर जाये <br>इस उम्र की राहों से ख़ुशियों को चुराना है <br>हँसना ही जीवन है हँसते ही जाना है <br><br>
इस उम्र की राहों से ख़ुशियों को चुराना है हँसना ही जीवन है हँसते ही जाना है  सब दर्द मिटा दें हम, हर ग़म को सज़ा दें हम <br>कहते हैं जिसे जीना दुनिया को सिखा दें हम <br> ये आज तो अपना है कल भी अपनाना है <br>हँसना ही जीवन है हँसते ही जाना है <br><br/poem>
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