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{{KKRachna
|रचनाकार=सुदर्शन फ़ाकिर
}} [[Category:गज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem> उल्फ़त का जब किसी ने लिया नाम रो पड़े अपनी वफ़ा का सोच के अंजाम रो पड़े
उल्फ़त का जब किसी ने लिया नाम रो पड़े <br>हर शाम ये सवाल मुहब्बत से क्या मिला अपनी वफ़ा का सोच हर शाम ये जवाब के अंजाम हर शाम रो पड़े <br><br>
हर शाम ये सवाल मुहब्बत से क्या मिला <br>राह-ए-वफ़ा में हमको ख़ुशी की तलाश थी हर शाम ये जवाब दो गाम ही चले थे के हर शाम गाम रो पड़े <br><br>
राह-ए-वफ़ा में हमको ख़ुशी की तलाश थी <br>दो गाम ही चले थे के हर गाम रो पड़े <br><br> रोना नसीब में है तो औरों से क्या गिला <br>अपने ही सर लिया कोई इल्ज़ाम रो पड़े <br><br/poem>