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नारी ने सहा है अब तक जीवन में अपमान|अपमान।अब न सहेगी अब न झुकेगी बनेंगी वे भी महान|महान।जीवन में आयें चाहे कितने तूफान|तूफान।नारी रखेगी अब अपनी आन बान और शान||शान।।जीवन तो इक बहती नदिया है|है।इसका तो धर्म ही बहना है|है।हम सबको इसी समाज में रहना है|है।पर रखना तुम अपना मान||मान।।इतना तो रखो अपने पर विश्वास|विश्वास।अपना मत डिगने दो आत्म विश्वास|विश्वास।होगा कभी तुमको भी होगा हम पर अभिमान|अभिमान।समझोगे पुत्री को तुम भी महान||महान।।नारी में निहित हैं वे तीन रुप|रुप।सत्यम शिवम् सुंदरम की वह अनुरुप|अनुरुप।दुर्गा, लक्ष्मी , सरस्वती की वह प्रारुप|प्रारुप।सभी मानेंगे नारी की महिमा का स्वरुप||स्वरुप।।नारी अब अबला नहीं सबला है|है।यही तो कमला, बिमला व सरला है|है।अब वे किसी भी प्रकार का दंश नहीं सहेंगी|सहेंगी।इल्म पाकर वे विदुषी बनेंगी||बनेंगी।।अब न गुलामी कर पायेंगी|पायेंगी।वह भी मदरसे पढ़ने जायेंगी|जायेंगी।अपना भविष्य उज्जवल बनाएँगी|बनाएँगी।तभी समाज का कल्याण कर पायेंगी||पायेंगी।।
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