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हम नूतन निर्माण करेंगे
प्रलय के चाहे घन घिर आयें|आयें।नभ के तारे धरती पर आये|आये।हम अपनी संस्कृति का आह्वान करेंगे|करेंगे।
युगों युगों से पीड़ित मानवता के
दुख दालान का हम सदा प्रयास करेंगे|करेंगे।नव जीवन का हम सब अनुसंधान करेंगे|करेंगे।सर्वत्र फैली दानवता का हम संहार करेंगे||करेंगे।।
चाहे बाधा पर बाधाएं आयें|आयें।घनघोर निराशा के बादल मंडराये|मंडराये।चाहे कितनी विपदा पर विपदा आयें|आयें।हम नव जीवन संधान करेंगे||करेंगे।।
चारों ओर कांटे चाहे बिछ जायें|जायें।पैरों के छाले भी छिल जायें|जायें।
शूलों को भी फूल बनाकर
हम नव पथ का निर्माण करेंगे||करेंगे।।
विश्व जब रसातल को जायें|जायें।चाहे विपत्ति के पहाड़ टूट जायें|जायें।चारों ओर प्रलय ही प्रलय हो जाये|जाये।हम पुनर्जीवन का सदा निर्माण करेंगे|करेंगे।
अपने सुमधुर गीतों के द्वारा
पीड़ित जनों का उद्धार करेंगे|करेंगे।
जन मानस की असीम असह्य पीड़ा का
अब हम सब मिलकर ही निदान करेंगे||करेंगे।।
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